प्रेषक : हैरी बवेजा
दोस्तो, आप का हैरी फिर
हाजिर है
अपनी सच्ची कहानी लेकर
!
आपने मेरी कहानी
मुझे लेट कर मजा आता है !
को बहुत पसंद किया, मुझे
बहुत सारे मेल मिले आपके !
बहुत बहुत शुक्रिया आप
सभी का।
नए पाठकों के लिए
मेरा परिचय ! मेरा नाम
हैरी है, उम्र 25 साल,
पंजाब से हूँ, पेशे से कंप्यूटर
हार्डवेयर का काम
करता हूँ !
तो चलिए दोस्तो,
अपनी कहानी पर आते हैं।
मेरे पड़ोस में एक परिवार
रहता है उसमें तीन
ही सदस्य हैं, एक पुरूष
जिसकी उम्र 37 साल है
और
उनकी पत्नी जिनकी उम्र
32 के करीब है, उनकी एक
छोटी बेटी चार साल
की है !
पड़ोस वाली भाभी बहुत
सुन्दर हैं, मस्त माल है !
क्या कहूँ मस्त चूचे मोटे-
मोटे, बड़ी गाण्ड ! कुल
मिला कर बिल्कुल काम
की देवी लगती है।
उनकी चूचियाँ 38 इन्च
की होंगी और गांड 40
इन्च के करीब !
जब से मैंने उन्हें देखा, तब से
मन ही मन उन्हें चोदने
की सोचता रहता था।
धीरे-धीरे उनसे बातें होने
लगी, उन्हें मालूम
हो गया कि मुझे कंप्यूटर
ठीक करना आता है। उनके
घर पर एक कंप्यूटर
था जो काफी दिनों से बंद
था।
भाभी एक दिन अपनी छत
पर आई शाम को और मैं
भी अपनी छत पर था।
वो मुझे देख कर मुस्कुराने
लगी और बोलो- हैरी, आप
से एक काम ही।
मैंने कहा- हुख़ कीजिये
भाभी जी !
वो कहने लगी- हुक्म
नहीं बस जरा आप मेरे
कंप्यूटर देख लेते !
काफी दिनों से बंद
पड़ा है, चलता ही नही है।
मैंने कहा- ठीक है चलो !
मैं अपनी छत से उनकी छत
पर छलांग लगा कर
चला गया, उनके घर में
कोई नहीं था, उनके
पति की दुकान है
करियाने की ! वो सुबह
आठ बजे चले जाते हैं और
रात को दस बजे आते हैं।
केवल उनकी बेटी थी घर में
जो चार साल की है।
भाभी ने सलवार-सूट
पहना हुआ था, जब जब
वो चलती थी उनकी गांड
ऊपर-नीचे होती थी !
फिर वो मुझे अपने कमरे में
ले गई और अपना कंप्यूटर
दिखाया। कंप्यूटर
की केबल और रैम खराब लग
रही थी मुझे !
मैंने कहा- भाभी जी मैं इसे
सुबह ठीक कर दूँगा, आज
मैंने कहीं जाना है।
उन्होंने कहा- प्लीज़ देख
लेना सुबह !
पक्का ! मैंने हाँ कर दी।
वो मेरे साथ आने लगी और
मुझे कहा- चाय तो पी कर
जाओ !
मैंने मना कर दिया पर
वो नहीं मानी, चाय ले
कर आ गई और मेज़ पर चाय
और बिस्कुट रखने के लिए
झुकी, उनके बड़े बड़े चूचों के
दर्शन मुझे हो गए। मेरे
ध्यान उनके वक्ष पर
ही था। फिर वो मुझे देख
कर हंसने लगी, कहने लगी-
चाय पिओ,
ठंडी हो जायेगी।
मैंने चाय पी और
चला आया उस दिन।
उस रात मुझे नींद
नहीं आई, रात भर
भाभी की चूचियाँ सपने में
आती रही। मैं सुबह होने
का इन्तज़ार कर
रहा था और रात
को दो बार उनके नाम
की मुठ मारी। किसी तरह
सुबह हुई, मैं उनके घर सुबह
नौ बजे ही चला गया।
उनके घर में सिर्फ वो थी,
उनकी बेटी स्कूल गई हुई
थी।
मैंने उनकी दरवाज़े
की घण्टी बजाई, उन्होंने
दरवाजा खोला और अन्दर
आने को कहा, दरवाजा बंद
कर दिया और कहने लगी-
आप बैठो जरा ! मैं
अभी नहाने जा रही थी।
मैंने कहा- कोई बात नहीं !
आप नहा लो, मैं इन्तज़ार
कर लेता हूँ।
वो अन्दर बाथरूम में
नहाने चली गई, मैं
अकेला बैठा रहा। मेरे मन
में एक विचार आया, मैंने
सोचा कि क्यों न
भाभी को नहाते हुए
देखा जाए !
मैं चुपके से बाथरूम के पास
गया और चाबी के छेद से
अन्दर का नजारा देखने
लगा।
भाभी पूरी नंगी थी और
अपनी चूत के बाल
बना रही थी। मैंने बड़े
ध्यान से देखा, बाल बनाने
के बाद भाभी ने अपनी चूत
पर जोर से
पानी मारा और बार
बार अपनी चूत पर
पानी की धार मार
रही थी। मुझे कुछ समझ
नही आ
रहा था कि वो ऐसा क्यों
कर रही हैं।
फिर वो अपनी चूत में
अपनी उंगली करने लगी,
पहले धीरे-धीरे और फिर
जोर-जोर से करने लगी।
और साथ में आह आह आह कर
रही थी, सिसकारियाँ ले
रही थी। फिर कुछ देर
बाद उनकी चूत से
पानी निकल गया,
वो ठंडी हो गई और
नहा कर बाहर आने
लगी ही थी कि मुझे
अपनी होश नहीं थी कि मैं
कहा हूँ और किसके घर में
हूँ !
मै अपने लंड को पकड़ कर
जोर जोर से
दबा रहा था। अचानक
भाभी ने जोर से
दरवाजा खोल दिया, मैं
सकपका गया और डर
गया कि यह
क्या हो गया और चुपचाप
पीछे मुड़ने लगा। वो थोड़े
गुस्से में बोली- क्या कर
रहे थे यहाँ?
मैंने कहा- वो भाभी जी !
मुझे पेशाब
लगी थी तो वो मैं
इन्तज़ार कर रहा था !
वो कुछ नहीं बोली और
पूछा- कंप्यूटर देखा तुमने?
मैंने कहा-
हाँ थोड़ा देखा है।
और फिर वो मेरे साथ आ
गई और बोली- आप
करो अपना काम, मैं चाय
बना कर लाती हूँ !
वो चाय बना कर ले आई
और मेरे सामने मेज़ पर फिर
से झुक गई। उनके बाल गीले
थे, उन्होंने
ब्रा नहीं पहनी हुई था,
सिर्फ नाइटी पहनी थी,
उनके मम्मे मुझे साफ़ दिख
रहे थे।
मेरा लंड फिर से
खड़ा हो गया। मैंने झट से
उनकी कंप्यूटर की रैम
बदली, केबल बदली,
कंप्यूटर चल पड़ा।
वो मेरे पास आकर बैठ गई,
मैंने उनसे पूछा-
आपको कंप्यूटर आता है?
तो उन्होंने कहा- मुझे
ज्यादा नहीं आता !
कभी कभी चलाती हूँ, गेम
और फिल्में देखती हूँ बस !
आप मुझे कंप्यूटर
सिखा दोगे?
मैंने कहा- क्यों नही ! रोज़
आ जाऊंगा आपके पास !
वो बोली- ठीक है !
फिर मैंने उनसे कहा- आप
कोई सी डी ले आओ, देखते हैं
कि सीडी चलती है
या नहीं?
वो अलमारी में से एक
सीडी ले आई। उनके कंप्यूटर
में बहुत सारी ब्लू फिल्में
थी, मैंने एक फिल्म
डेस्कटॉप पर कॉपी मार
ली और जब वो सीडी लेकर
आई मैंने सीडी लगा दी और
धीरे से डेस्कटॉप
वाली फिल्म चालू कर दी।
वो मेरे पास ही बैठी थी,
फिल्म चलने गई
वो घबरा गई, बोली- यह
मूवी कैसे चल गई?
मैंने कहा- आपने
ही सीडी दी है !
वो कहने लगी- नहीं, यह
तो वो सीडी नहीं है
जो मैंने आपको दी !
वो शरमा गई।
फिर मैंने कह ही दिया-
भाभी जी, आपके कंप्यूटर में
बहुत ब्लू फिल्में हैं ! मैंने
सर्च कर लिया है।
वो कहने लगी- आप बहुत
ख़राब हो !
और वो मेरे पास और सट
कर बैठ गई, उनके मोमे मेरे
बदन से छू रहे थे। वो मेरे
पास और चिपक कर बैठ गई
मेरा लंड
खड़ा हो रहा रहा था,
ऐसे लग रहा था जैसे पैंट
फाड़ कर बाहर आ जायेगा।
फिल्म भी चल रही थी,
उसमें एक लड़का एक
लड़की को नंगी कर के उसके
दूध को मसल रहा रहा और
पी रहा था, मैंने भाभी से
कहा- भाभी, ये सब फिल्में
आप देखती हो?
वो शरमा कर कहने लगी-
हाँ ! क्या करूँ, दिल
नहीं लगता तो देख
लेती हूँ ! घर में कोई
होता नहीं ! क्या करूँ/
मैंने धीरे से
उनकी जांघों पर हाथ रख
दिए। हम दोनों फिल्म देख
रहे थे, मैं धीरे-धीरे
भाभी की जांघों पर हाथ
फेरने लगा। वो कुछ
नहीं बोल रही थी, फिर
मैंने उनके होंठों पर अपने
होंठ रख दिए और जोर
जोर से उनके होंठ चूसने
लगा। अब
वो भी मेरा साथ देने
लगी और मेरे होंठ भी चूसने
लगी।
मैंने भाभी को बिस्तर पर
लिटा दिया और
उनकी नाइटी के ऊपर से
उनकी चूचियों को दबाने
लगा और धीरे-धीरे मैंने
उनकी नाइटी ऊपर कर
दी।
उन्होंने लाल रंग
की पेंटी पहन रखी थी। मैं
उनके मोमे बिल्कुल नंगे देख
कर बहुत खुश हुआ और उन्हें
मुँह में लेकर चूसने लगा।
वो भी मुझे जोर-जोर से
चूम रही थी, प्यार कर
रही थी।
मैंने अब धीरे-धीरे
भाभी की पैंटी उतार दी।
उनकी चूत से
थोड़ा थोड़ा चिपचिपा
सा कुछ निकल रहा था।
बहुत मोहक खुशबू
थी उनकी चूत की !
मैंने उनकी चूत के दाने
को उंगलियों से पकड़
लिया तो वो उई-उई करने
लगी। मैं फिर उनकी चूत
को खोल कर अपना जीभ
अन्दर-बाहर करने
लगा और
कभी कभी कभी उनकी चूत
के दाने को जोर से काट
लेता तो वो सी-सी करने
लगती। बहुत मजा आ
रहा था उनकी चूत चाटने
में !
फिर वो जोर जोर से
अपनी चूत मेरे मुँह पर
मारने लगी और ढेर
सारा पानी छोड़ दिया।
मैंने उनकी चूत को चाट कर
साफ़ किया, फिर उनके
पास लेट गया और उनके
मोमे दबाने लगा।
वो धीरे-धीरे फिर गर्म
होने लगी। उन्होंने
मेरा लंड पकड़ लिया और
आगे-पीछे करने लगी।
मैंने कहा- भाभी, इसे
भी प्यार करो !
वो मेरा इशारा समझ गई
और मेरे लंड को अपने जुबान
से चाटने लगी और मुँह में
लेकर चूसने लगी।
वो धीरे-धीरे मेरे लंड
को चूस रही थी, मुझे बहुत
मजा आ रहा था। अब
वो जोर-जोर से मेरे लंड
को आगे-पीछे करने लगी !
मै भी उनके लंड चूसने से
मस्त हो रहा था, उनके
बालों को पकड़ कर जोर-
जोर से अपने लंड के आगे
पीछे करने लगा। बहुत
मजा आ रहा रहा था।
मैंने कहा- भाभी, बस
करो अब ! आपकी चूत
भी तो चोदनी है !
वो बोली- हां मेरे राजा,
कब से पानी छोड़ रही है,
अब नहीं रहा जाता ! आ,
चोद दे इसे !
साला मेरा पति तो
चोदता ही नहीं है !
साला बस रात को आता है
और बस 2-4 मिनट घस्से
मार कर सो जाता है, मैं
प्यासी रह जाती हूँ !
हैरी, आज मेरी प्यास
बुझा दो ! मैं
तुम्हारी गुलाम बन
जाऊंगी हईईए उई!
ऐसे वो बड़बड़ा रही थी।
मैंने उनकी चूत को फिर से
चाटना शुरु किया,
वो बहुत कामुक हो गई
थी, उसने लंड अपनी चूत में
जल्दी घुसाने को बोला।
मैंने सोचा, अब
तड़पाना ठीक नहीं है, मैं
भाभी की चूत में अपना लंड
घुसाने लगा।
भाभी ने कहा- जरा धीरे
धीरे करना !
मैंने कहा- ठीक है।
मैंने अपना लंड
भाभी की चूत के अन्दर
डाला,
भाभी थोड़ी चीखी,
बोली- धीरे से करो !
बोला था न ! मेरे
पति का छोटा है !
आपका बड़ा है, दर्द
हो रहा है।
मैं धीरे-धीरे उसकी चूत में
अपना लंड अन्दर-बाहर
करने लगा। थोड़ी देर बाद
भाभी को भी मजा आने
लगा, वो कहने लगी- ऊऊई
ईईईए सीईईई आआअ
आअहाअहाअ
वो सिसकारी ले रही थी-
आआआआअ ईईईईईई
ऊऊऊउईईईई ! मजा आ
रहा है ! और करो हैरी !
करते रहो ! बड़ा मजा आ
रहा है !
वो अपनी गांड उठा-
उठा कर मेरे लंड अपनी चूत
में लबालब ले रही थी और
उह उह आहा आह कर
रही थी। वो मजे से चुद
रही थी पूरी रंडी की
तरह ! बीच-बीच में मेरे
गालो को पकड़ कर अपने
दांतों से काट लेती, जोर
जोर से अपने गांड
हिला हिला कर मजे ले
रही थी भाभी।
मैं भी जोर जोर से चुदाई
कर रहा था, मुझे बहुत
मजा आ रहा था। मैं उसके
मोमे कभी कभी काट
लेता था चोदते चोदते !
फिर मैंने भाभी को बोला-
भाभी, चलो कुतिया बन
जाओ ! आपको मजा आएगा।
वो बिस्तर पर
कुतिया की अवस्था में
हो गई। मैंने अपने लंड
को भाभी की चूत में
घुसा दिया और चोदने
लगा। बड़ा मजा आ
रहा था भाभी को और मुझे
भी !
ऐसे मैंने भाभी को करीब
तीस मिनट तक चोदा। अब
मैं और भाभी दोनों पसीने
से सराबोर हो गए थे।
भाभी इस दौरान
दो बार झर गई थी, अब
मेरी बारी थी। मैंने
भाभी को चोदते चोदते
कहा- भाभी, कैसा लग
रहा है?
वो मजे से आँखें बंद करके
चुदाई के मजे ले
रही थी और आह
हा आहा उए उए उए आ
स्सीईईइ सीईई कर
रही थी, सिसकारियाँ ले
रही थी। अब शायद
भाभी भी पानी निकालने
वाली थी, भाभी जोर-
जोर से मेरे लंड पर
अपनी चूत चलाने लगी।
भाभी ने कहा- हैरी, एक
मिनट रुको, मैं और मजे से
चुदना चाहती हूँ !
वो मेरे ऊपर आ गई
अबकी बार, मुझे
लिटा दिया और
अपनी चूत को मेरे लंड पर
रख कर जोर-जोर से
अपनी कमर ऊपर-नीचे
करने लगी, मैं भी नीचे से
उसे जोर जोर से चोद
रहा था। फिर एकदम
उनका शरीर ऐंठने
लगा और जोर जोर से झरने
लगी और मेरे ऊपर लेट गई।
अब मेरे भी काम होने
ही वाला था, मैंने बोला-
भाभी, मेरे लिए जरा एक
बार और कुतिया बन जाओ,
मेरा छुटने वाला है, ऐसे
मजा नहीं आएगा।
फिर वो कुतिया बन गई
और मैंने फिर बीस-तीस
धक्के लगाये और उनकी चूत
में अपना सारा पानी
निकाल दिया। वो बहुत
खुश थी।
उस दिन उन्होंने मुझे बाद
में एक चुम्बन दिया और
कहा- यह बात
किसी को मत बताना !
क्या करूँ, मेरे पति ठीक से
नहीं करते। नहीं तो मैं
आपसे यह सब
नहीं करवाती।मैंने उन्हें
विश्वास दिलाया कि मैं
किसी को नही कहूँगा।
बस दोस्तो, उसके बाद
तो मैंने कई बार
भाभी की चूत मारी, और
एक दिन मैंने उन्हें
बहला फ़ुसला कर
उनकी गांड भी मारी,
वो मान
नहीं रही थी गांड
मरवाने के लिए। मैंने कैसे
मारी उनकी गांड, जानने
के लिए
अगली कहानी का इंतजार
करें।
तब तक के लिए अपने
हैरी को इजाजत दीजिये
और मुझे मेल करके बताएँ
कि मेरी कहानी कैसी लगी
आपको।
yh7u
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Nic yaar land khda ho gaya